सरकार के कोष पर डाका डाल रही निजी कंपनी
शराब दुकानों में सीमित कर्मी लेकिन भुगतान लिया जा रहा ज्यादा के लिए
कोरबा 27 अक्टूबर। कार्पोरेट सेक्टर के साथ-साथ सरकारी क्षेत्र में भी कई प्रकार के काम आउटसोर्सिंग से कराए जा रहे हैं। खर्चे बचाने के साथ सीमित लोगों को रोजगार दिए जाने की मंशा इस स्कीम में है। लेकिन भुगतान आखिरकार सरकार से लेकर ही करना है। आबकारी विभाग के अंतर्गत शराब दुकानों को संचालित करने के लिए पिछले दरवाजे से भरे गए कर्मियों के मामले में प्लेसमेंट एजेंसी सीधे-सीधे छत्तीसगढ़ सरकार को हर महीने लाखों की चपत लगा रही है। संभव है कि प्रकरण जांच एजेंसियों के संज्ञान में आता है तो इस घोटाले में नए खुलासे हो सकते हैं।
प्रदेश के सभी जिलों में प्लेसमेंट के जरिए ही शराब दुकानों के संचालन के लिए सुरक्षा कर्मी सहित अन्य स्टाफ की भर्ती इस वित्त वर्ष में की गई। कर्मियों को निश्चित वेतन देना तय किया गया। कोरबा जिले में देशी-विदेशी शराब की 42 दुकानों के संचालन हेतु विभाग ने विज्ञापन निकाला लेकिन अन्य प्रक्रियाएं दूसरे स्तर पर हुए। खबर के अनुसार दूसरे प्रदेश से वास्ता रखने वाली ग्लोबल एजेंसी ने इस काम में रूचि दिखाई और कोरबा सहित कुछ जिलों का कामधाम हथिया लिया। एसईसीएल, सीएसईबी आदि कंपनियों में सिक्यूरेटी एजेंसी जिस तरह का गोलमाल नियोजन (वास्तविक कर्मियों से कहीं ज्यादा) को लेकर करती रही है। वही तरीका शराब दुकानों के संचालन को लेकर अपनाया गया। सूत्रों ने बताया कि गिनती के कर्मी एक-एक दुकान को चलाने के लिए रखे गए हैं लेकिन कागजों में दिखाया जा रहा है कि अधिक कर्मी यहां नियोजित किए गए हैं। बकायदा इन सभी के लिए बायोमेट्रिक्स की व्यवस्था की गई है लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि इतने लोगों से काम लिया जा रहा है। इनमें से कुछ ही कर्मियों को पूरा वेतन की पात्रता है जबकि सांठगांठ के तौर पर कंपनी ने जिन कर्मियों को रखा है वे कुछ ही हिस्सा प्राप्त करते हैं जबकि वेतन की काफी राशि कंपनी को उसके भ्रष्टाचार के लिए वापस करनी पड़ती है। यह खेल वित्त वर्ष की शुरुआत से लेकर लगातार चल रहा है। बताया गया कि हाल में ही दो कर्मचारियों के साथ विवाद और इनमें से एक की बाइक को जबरिया ठेकेदार व उसके गुर्गों के द्वारा छीने जाने के बाद मामला पुलिस तक पहुंचा। आगे की परतें खुली तो मालूम चला कि प्लेसमेंट एजेंसी ऐसे अनेक कर्मचारियों के कंधे पर बंदूक रखकर विष्णुदेव के सुशासन को पलीता लगाने में लगी है। सूत्रों का कहना है कि एक ही जिले से हर महीने कर्मियों के नाम पर फर्जी भुगतान उठाया जा रहा है। बताया गया कि चूंकि एक ही पैटर्न पर छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में शराब दुकान के संचालन के लिए कर्मी नियोजित किए गए हैं इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि एजेंसी ने इस तरह का खेल वहां भी पुख्ता तौर पर किया होगा।
इसके अलावा एजेंसी ने देशहरा और दीपावली का नाम लेकर पिछले महीने अपनी 42 शराब दुकानों में काम करने वाले सभी कर्मचारियों के वेतन से 2-2 हजार रुपए काट लिए। तर्क दिया गया कि अटेंडेंस शार्ट रही और कुछ मात्रा में शराब की बोतलें टूट गई इसकी भरपाई कर्मियों से ही करेंगे। जबकि अनेक पीडित कर्मियों ने बताया कि विभाग के अधिकारियों को फेस्टिवल सीजन में खुश करने के नाम से भारी भरकम कलेक्शन किए जाने हेतु हमारे वेतन से राशि कटौती की गई। इस बारे में उच्च अधिकारियों को जानकारी भेजी जा रही है।